
🪔 उत्तराखंड के पारंपरिक त्योहार – संस्कृति की जीवंत झलक
उत्तराखंड न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां की संस्कृति और परंपराएं भी देश-दुनिया में खास पहचान रखती हैं। यहाँ मनाए जाने वाले त्योहार प्रकृति, कृषि, और पारिवारिक संबंधों से गहराई से जुड़े हुए हैं।
यहाँ के हर पर्व में परंपरा, आध्यात्मिकता और सामूहिकता की अद्भुत झलक देखने को मिलती है।
🎉 उत्तराखंड के पारंपरिक त्योहार
1. 🌿 Harela (हरियाली पर्व)
उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र में मनाया जाने वाला Harela प्रकृति, हरियाली और कृषि की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन लोग बीज बोते हैं, पौधे लगाते हैं, और हरे अंकुरों को परिवार के सदस्यों के सिर पर लगाकर आशीर्वाद देते हैं।
👉 पूरी जानकारी के लिए पढ़ें: Harela – उत्तराखंड की हरियाली और संस्कृति का पर्व
2. 🌸 फूलदेई
फूलदेई उत्तराखंड की वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला त्योहार है। इसमें बच्चे घर-घर जाकर फूल, चावल और गुड़ से भरी थाली लेकर दहलीज पर चढ़ाते हैं और मंगलकामना करते हैं।
यह त्योहार बाल मनोविज्ञान, एकता और पर्यावरण प्रेम को दर्शाता है।
3. 🧈 घी संक्रांति (ओल्जी)
हर साल भाद्रपद संक्रांति को मनाया जाने वाला पर्व है जहाँ घी, मंडुए और तिल से बने पकवान खाए जाते हैं। इसे कृषक पर्व भी कहा जाता है और यह कड़ी मेहनत के बाद पोषण का प्रतीक है।
4. 🪔 ईगास-बग्वाल
दीपावली के 11वें दिन मनाया जाने वाला ईगास, उत्तराखंड की विशेष परंपरा है। इसमें लोग दीप जलाते हैं, स्थानीय गीत गाते हैं, और पारंपरिक व्यंजन जैसे दाल-भात और भांग की चटनी का आनंद लेते हैं।
यह त्योहार लोककथाओं और वीरगाथाओं को सहेजने का जरिया है।
5. 🎁 भिटोली
भिटोली एक पारिवारिक पर्व है जिसमें मायके से बेटियों को उपहार भेजे जाते हैं। यह पर्व बेटी के सम्मान और स्नेह का प्रतीक है।
🌏 उत्तराखंड के पारंपरिक त्योहार का सामाजिक व पर्यावरणीय महत्व
- 🌱 प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में सहायक (Harela, फूलदेई)
- 👨👩👧👦 पारिवारिक रिश्तों को मज़बूत करने वाले पर्व (भिटोली, ईगास)
- 🧘 सामाजिक सामंजस्य और आत्मीयता बढ़ाने वाले आयोजन
📌 निष्कर्ष
उत्तराखंड के पारंपरिक त्योहार केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जागरूकता, सामाजिक एकता और पर्यावरणीय चेतना के प्रतीक हैं। ये पर्व हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए संस्कृति की विरासत को संरक्षित करते हैं।
🙋♂️ FAQs
Q1.उत्तराखंड के पारंपरिक त्योहार कौन-कौन से हैं?
Ans: Harela, फूलदेई, ईगास, घी संक्रांति और भिटोली प्रमुख पारंपरिक त्योहार हैं।
Q2. क्या इन त्योहारों में स्कूलों में भी भागीदारी होती है?
Ans: हां, कई स्कूल व कॉलेज पर्यावरण और संस्कृति से जुड़े इन पर्वों पर प्रतियोगिताएं व जागरूकता अभियान चलाते हैं।
Q3. क्या Harela केवल कुमाऊं में मनाया जाता है?
Ans: नहीं, अब यह पर्व पूरे उत्तराखंड में फैल चुका है और पर्यावरणीय अभियान के रूप में देशभर में मनाया जा रहा है।
2 comments on “उत्तराखंड के पारंपरिक त्योहार जिनमें छिपे हैं संस्कृति के गहरे राज!”