Loading time...
निर्जला एकादशी व्रत 2025

🕉️निर्जला एकादशी व्रत कथा : महत्व और संपूर्ण व्रत विधि

✨ निर्जला एकादशी : सबसे पुण्यदायी व्रत

निर्जला एकादशी व्रत हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत वर्ष की सभी 24 एकादशियों में सबसे कठिन और पुण्यदायी मानी जाती है। इस व्रत में जल तक का सेवन नहीं किया जाता, इसलिए इसे “निर्जला” कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से वर्ष की सभी एकादशियों के बराबर फल प्राप्त होता है।


📅 निर्जला एकादशी कब आती है?

निर्जला एकादशी ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। यह आमतौर पर मई-जून के महीने में पड़ती है। यह व्रत भीष्म पितामह द्वारा बताए गए नियमों पर आधारित है और इसे “भीष्म एकादशी” भी कहा जाता है।


🙏 व्रत का महत्व


📖 निर्जला एकादशी व्रत कथा

प्राचीन काल में पांडवों में भीमसेन को भोजन के प्रति अत्यधिक प्रेम था, इसलिए वे एकादशी व्रत नहीं रख पाते थे। एक दिन उन्होंने ऋषि व्यास से कहा:

“हे ऋषिवर, मैं भोजन के बिना नहीं रह सकता, परंतु मुझे व्रत का पुण्य भी प्राप्त करना है। कृपया कोई उपाय बताएं।”

तब व्यास मुनि ने कहा:

“हे भीम, यदि तुम वर्ष की सभी एकादशियों का फल चाहते हो, तो केवल निर्जला एकादशी का व्रत करो। इस दिन जल भी मत ग्रहण करना। यह कठिन अवश्य है, परंतु सभी व्रतों से श्रेष्ठ है।”

भीमसेन ने व्रत रखा और इसे सफलतापूर्वक पूर्ण किया। तभी से यह व्रत “भीम एकादशी” के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ।


🪔 निर्जला एकादशी व्रत विधि

  1. एक दिन पहले (दशमी तिथि को) सात्विक भोजन करें और संकल्प लें।
  2. व्रत वाले दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  3. पूरे दिन निर्जल रहें — यानी न भोजन, न जल।
  4. भगवान विष्णु की पूजा करें: तुलसी, पीले फूल, धूप-दीप और पंचामृत से अर्चना करें।
  5. ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
  6. रात्रि में जागरण और कीर्तन करें।
  7. द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को दान देकर व्रत समाप्त करें।

🍛 व्रत पारण (व्रत खोलने की विधि)

द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत खोलने की परंपरा है। सबसे पहले भगवान विष्णु को अर्पण कर भोजन करें। इस दिन फलाहार या हल्का सात्विक भोजन लेना उचित होता है।


🎁 क्या करें इस दिन?


🚫 क्या न करें?


🔚 निष्कर्ष

निर्जला एकादशी व्रत भक्ति, संयम और आत्म-शुद्धि का पर्व है। यह व्रत कठिन ज़रूर है, लेकिन इसका आध्यात्मिक फल अद्वितीय है। एक दिन के व्रत से वर्ष भर की एकादशियों का पुण्य मिलना, इसे अत्यंत विशेष बनाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *