🌤️ उत्तराखंड में मौसम का बदलेगा मिजाज

उत्तराखंड में इन दिनों मौसम साफ बना हुआ है। गर्मी कुछ बढ़ जरूर गई है, लेकिन लोगों को भारी बारिश से राहत मिल रही है। मौसम विभाग की मानें तो ये राहत सिर्फ 10 जून तक ही रहने वाली है। 11 जून से प्रदेश में फिर से बारिश का दौर शुरू हो जाएगा, जो लगातार 14 जून तक चल सकता है


☔ कहां-कहां होगी बारिश? 10 जिलों के लिए अलर्ट

11 जून से जो बारिश शुरू होगी, वो पूरे उत्तराखंड में असर दिखाएगी। खास तौर पर गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के 10 जिलों में बारिश का पूर्वानुमान है।

📍 गढ़वाल मंडल में बारिश होगी:

📍 कुमाऊं मंडल में भी पानी बरसेगा:

मौसम विभाग का कहना है कि 12, 13 और 14 जून को भी कई जिलों में अच्छी खासी बारिश हो सकती है। हरिद्वार में भी बारिश की संभावना जताई गई है।

मौसम अपडेट

🌡️ चारधाम में मौसम कुछ गर्म, लेकिन रातें ठंडी

बारिश थमने के बाद चारधाम यात्रा कर रहे श्रद्धालुओं को दिन में हल्की गर्मी और रात में ठंड का सामना करना पड़ रहा है। जानिए चारधाम के तापमान की स्थिति:

लंबे वक्त के बाद यमुनोत्री और बदरीनाथ में तापमान माइनस से ऊपर आया है, जिससे यात्रियों को थोड़ी राहत जरूर मिली है।

उत्तराखंड मौसम

🚨 श्रीलंका टापू में पहले से पहुंचाई गई जरूरी चीजें

नैनीताल जिले के लालकुआं तहसील में स्थित श्रीलंका टापू गांव हर साल मानसून में मुख्य मार्ग से कट जाता है। गांव गौला नदी के दूसरे किनारे पर बसा है और तीन महीने तक बाकी दुनिया से संपर्क टूट जाता है।

🛶 ऐसे में इस बार जिला प्रशासन ने पहले से ही तैयारी कर ली है:

एसडीएम राहुल साह ने जानकारी दी कि स्वास्थ्य कैंप लगाकर लोगों को जरूरी दवाएं दी गई हैं और सभी विभाग अलर्ट पर हैं।


🏝️ श्रीलंका टापू की कहानी

90 के दशक में बिंदुखत्ता गांव से अलग होकर बने श्रीलंका टापू में आज भी लोग बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। बारिश के दिनों में जब गौला नदी उफान पर होती है, तो गांव का पूरी तरह संपर्क टूट जाता है। ऐसे में इस बार की तैयारी को लेकर गांव के लोगों ने भी राहत की सांस ली है।


✍️ निष्कर्ष:

उत्तराखंड में मानसून दस्तक देने के लिए तैयार है। 10 जून तक मौसम साफ रहेगा, लेकिन 11 से 14 जून तक बारिश जोर पकड़ेगी। चारधाम यात्रा करने वालों को इस दौरान अपने साथ गर्म कपड़े और रेनकोट ज़रूर रखना चाहिए। प्रशासन की ओर से संवेदनशील क्षेत्रों में पहले से तैयारी कर दी गई है, खासकर ऐसे गांवों में जो मानसून में कट जाते हैं।

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