✨ परिचय राधा अष्टमी 2025
हिंदू धर्म में देवी राधा जी का स्थान अत्यंत उच्च है। उन्हें भगवान श्रीकृष्ण की आध्यात्मिक शक्ति और भक्ति की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। राधा अष्टमी का पर्व, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं, राधा-कृष्ण की पूजा करते हैं और राधा जी के जन्मोत्सव का उत्सव मनाते हैं।
👉 इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे –
- राधा अष्टमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- राधा अष्टमी का महत्व और कथा
- राधा अष्टमी की पूजा विधि और नियम
- राधा अष्टमी व्रत के लाभ
- FAQs (सामान्य प्रश्न)
📅 राधा अष्टमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि: 31 अगस्त 2025, रविवार
- अष्टमी तिथि आरंभ: 30 अगस्त 2025, रात 10:46 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त: 1 सितम्बर 2025 को पूर्वाह्न 12:57 बजे तक
- पूजा मुहूर्त: सुबह 08:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक सर्वश्रेष्ठ
👉 इस वर्ष राधा अष्टमी पर विशेष संयोग बन रहा है, जो भक्तों के लिए अत्यंत मंगलकारी माना जा रहा है।
🌼 राधा अष्टमी का महत्व
- राधा जी को भक्ति की देवी कहा जाता है।
- मान्यता है कि राधा जी का जन्म वृषभानु गाँव (वर्तमान बरसाना, उत्तर प्रदेश) में हुआ था।
- इस दिन व्रत और पूजा करने से भक्त को सच्चे प्रेम, सौभाग्य, और भक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- ब्रज में विशेष रूप से यह पर्व मनाया जाता है, जहाँ राधा रानी के मंदिरों में विशाल मेले और झांकियां आयोजित होती हैं।
📖 राधा अष्टमी व्रत कथा
शास्त्रों के अनुसार, राधा जी का प्राकट्य भाद्रपद मास की शुक्ल अष्टमी को हुआ। राजा वृषभानु और माता कीर्ति ने उन्हें अपनी संतान के रूप में प्राप्त किया।
कथा के अनुसार –
- राधा जी जन्म के समय कमल के पुष्प पर प्रकट हुईं।
- प्रारंभ में वे नेत्रहीन थीं, लेकिन जब श्रीकृष्ण ने उन्हें दर्शन दिए, तभी उनकी आँखें खुलीं।
- राधा और कृष्ण का संबंध आध्यात्मिक मिलन का प्रतीक है, जो आत्मा और परमात्मा की एकता को दर्शाता है।
🙏 राधा अष्टमी 2025 पूजा विधि
राधा अष्टमी पर भक्तजन उपवास रखते हैं और विशेष पूजा करते हैं। पूजा विधि इस प्रकार है –

🪔 पूजा सामग्री
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
- फूल (विशेषकर गुलाब और कमल)
- तुलसी पत्र
- धूप, दीप, कपूर
- राधा-कृष्ण की प्रतिमा या चित्र
- राधा अष्टमी व्रत कथा
🔮 पूजा विधि
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर या मंदिर में राधा-कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें।
- गंगाजल से शुद्धिकरण करें।
- पंचामृत से राधा जी का अभिषेक करें।
- पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- राधा अष्टमी व्रत कथा का पाठ करें।
- दिनभर उपवास रखें और सायंकाल आरती के बाद प्रसाद ग्रहण करें।
🌿 राधा अष्टमी 2025 व्रत के नियम
- इस दिन निर्जला उपवास (बिना जल के) रखने का विशेष महत्व है, हालांकि स्वास्थ्य अनुसार जल-फल ग्रहण कर सकते हैं।
- व्रतधारी को दिनभर भजन-कीर्तन करना चाहिए।
- किसी भी प्रकार का क्रोध, असत्य वचन और नकारात्मक भाव मन में नहीं रखना चाहिए।
- व्रत का समापन रात्रि में राधा-कृष्ण की आरती और प्रसाद के साथ करें।
🌺 राधा अष्टमी व्रत के लाभ
- राधा जी की कृपा से जीवन में पवित्र प्रेम और सौहार्द आता है।
- दांपत्य जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।
- यह व्रत पुण्य, सौभाग्य और भक्ति की प्राप्ति कराता है।
- ब्रज धाम में राधा अष्टमी के दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

🛕 राधा अष्टमी 2025 पर विशेष आयोजन
- बरसाना (उत्तर प्रदेश): राधा जी का जन्मस्थान, जहाँ विशाल मेले का आयोजन होता है।
- वृंदावन: यहाँ राधा-कृष्ण मंदिरों में भव्य झांकियां सजाई जाती हैं।
- मथुरा: पूरे क्षेत्र में भजन-कीर्तन और शोभायात्राओं का आयोजन होता है।
📌 राधा अष्टमी 2025 – ज्योतिषीय संयोग
इस वर्ष राधा अष्टमी मंगलवार को पड़ रही है और साथ ही धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह दिन भक्तों के लिए अत्यधिक शुभ है।
🙋♀️ FAQ – राधा अष्टमी 2025 से जुड़े प्रश्न
❓ राधा अष्टमी किसकी पूजा होती है?
👉 इस दिन श्रीकृष्ण की अर्धांगिनी और भक्ति की देवी राधा जी की पूजा होती है।
❓ राधा अष्टमी कब मनाई जाती है?
👉 भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को। वर्ष 2025 में यह 31 अगस्त को है।
❓ क्या राधा अष्टमी पर व्रत रखना अनिवार्य है?
👉 हाँ, श्रद्धालुओं के लिए व्रत रखना अत्यंत शुभ माना गया है।
❓ राधा अष्टमी पर क्या नहीं करना चाहिए?
👉 असत्य वचन, क्रोध, अपशब्द और नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए।
📝 निष्कर्ष
राधा अष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं बल्कि भक्ति, प्रेम और आत्मा-परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन में सच्चा प्रेम, भक्ति और सुख-समृद्धि आती है।
🌸 2025 में राधा अष्टमी का पर्व भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इसलिए इस दिन पूरे नियम और श्रद्धा से उपवास करके राधा-कृष्ण की आराधना अवश्य करें।
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