
उत्तराखंड, चमोली: विश्व धरोहर स्थल फूलों की घाटी को 1 जून 2025 से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। रविवार सुबह 7 बजे घाटी के अंतिम बेस कैंप घांघरिया से पर्यटकों का पहला दल रवाना हुआ। पहले दिन कुल 49 पर्यटकों ने घाटी का दीदार किया, जिनमें 45 ऑफलाइन और 4 ऑनलाइन पंजीकरण के माध्यम से पहुंचे।
Phulo ki Ghati : प्रकृति प्रेमियों की पहली पसंद
हर साल हजारों पर्यटक फूलों की घाटी की अनोखी जैव विविधता और प्राकृतिक सुंदरता को देखने आते हैं। बर्फ पिघलने के साथ ही घाटी में रंग-बिरंगे फूलों की बहार शुरू हो जाती है। घाटी में करीब 500 से अधिक फूलों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 350 से अधिक प्रजातियां जुलाई-अगस्त में पूरी तरह खिलती हैं। यही समय घाटी का पीक सीजन होता है।
हर साल 1 जून को खुलती है Phulo ki Ghati
वन विभाग के अनुसार, फूलों की घाटी हर वर्ष 1 जून से 31 अक्तूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहती है। सर्दियों में भारी बर्फबारी के चलते इसे बंद कर दिया जाता है। इस वर्ष भी तय कार्यक्रम के अनुसार घाटी को समय पर खोल दिया गया है।

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तैयारियां पूरी, सुविधाएं बेहतर
वन क्षेत्राधिकारी चेतना कांडपाल ने जानकारी दी कि घाटी में सभी व्यवस्थाएं पूरी कर दी गई हैं। बर्फबारी के चलते जो रास्ते क्षतिग्रस्त हुए थे, उनकी मरम्मत कर दी गई है। साथ ही गदेरे (छोटे जल स्रोत) पार करने के लिए अस्थायी पुलों का निर्माण भी कर दिया गया है।
इस बार पर्यटकों की सुविधा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली को भी बेहतर बनाया गया है, जिससे यात्रा और भी सुगम हो गई है।

Phulo ki Ghati कैसे पहुंचे?
फूलों की घाटी तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी पड़ाव घांघरिया है, जो गोविंदघाट से ट्रेकिंग करके पहुँचा जा सकता है। इसके बाद लगभग 4 किलोमीटर की ट्रेकिंग कर घाटी तक पहुंचा जाता है। यात्रा में पर्यावरण के नियमों का पालन करना आवश्यक है।
निष्कर्ष:
अगर आप भी प्रकृति की गोद में कुछ शांत और रंगीन पल बिताना चाहते हैं, तो Phulo ki Ghati आपकी यात्रा सूची में जरूर होनी चाहिए। जुलाई और अगस्त का समय सबसे उत्तम है जब घाटी अपने पूरे श्रृंगार में होती है।
📍 यात्रा से पहले ऑनलाइन पंजीकरण करना न भूलें।
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