
उत्तराखंड में क्यों शुरू हुआ Operation Kalanemi?
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक नई मुहिम ‘ऑपरेशन कालनेमि’ का आगाज़ किया था , जिसका मकसद – धार्मिक वेश में छिपे फर्जी बाबाओं को कानून के दायरे में लाना है।
धामी सरकार पहले ही लव जिहाद, लैंड जिहाद, और मजार जिहाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर चुकी है। अब धार्मिक ठगी पर यह नई मुहिम चलाई जा रही है, जिसमें देहरादून और हरिद्वार में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए अब तक कुल 56 फर्जी साधु-बाबाओं को गिरफ्तार किया है।
देहरादून में 25 फर्जी बाबा पकड़े गए
ऑपरेशन की शुरुआत के अगले ही दिन, देहरादून पुलिस ने एक बांग्लादेशी नागरिक समेत 25 फर्जी बाबाओं को गिरफ्तार किया। ये लोग साधु का वेश धारण कर आमजन को भ्रमित कर रहे थे।
जांच में सामने आया कि इन लोगों का किसी मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठन या अखाड़े से कोई संबंध नहीं था। इन्होंने केवल आम जनता को भ्रमित करने और आर्थिक लाभ कमाने के लिए संत का भेष धारण किया था।

हरिद्वार में 31 बहुरूपिए बाबाओं पर गिरी गाज
हरिद्वार, जिसे धर्मनगरी कहा जाता है, वहां भी नगर कोतवाली और श्यामपुर थाना क्षेत्र में पुलिस ने सक्रियता दिखाई। पहले, 13 फर्जी साधुओं को नगर क्षेत्र से पकड़ा गया, जबकि 18 बहुरूपिए बाबाओं को श्यामपुर थाना पुलिस ने हिरासत में लिया।
इन फर्जी बाबाओं का मकसद क्या था?
ये लोग कांवड़ यात्रा के दौरान तंत्र-मंत्र और जादू टोना के नाम पर श्रद्धालुओं को परेशान कर रहे थे। भीड़ बढ़ने से अशांति फैलने और हिंसा भड़कने का खतरा था, जिसे समय रहते हरिद्वार पुलिस ने काबू किया।

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हरिद्वार पुलिस की कार्रवाई में कौन-कौन शामिल रहा?
नीचे उन पुलिस अधिकारियों के नाम दिए गए हैं जिन्होंने ऑपरेशन को सफल बनाने में मुख्य भूमिका निभाई:
- थानाध्यक्ष (श्यामपुर): नितेश शर्मा
- चौकी प्रभारी (चंडीघाट): उप निरीक्षक देवेंद्र तोमर
- हेड कांस्टेबल: अनिल कुमार
- कांस्टेबल: अनिल रावत
SSP का बयान: “धार्मिक गरिमा से कोई समझौता नहीं”
हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) प्रमेंद्र सिंह डोबाल ने मीडिया से बातचीत में कहा:
“हमने ऑपरेशन कालनेमि के तहत कई लोगों को पकड़ा है जो धार्मिक वेश में अपराध छिपा रहे थे। कांवड़ मेला से पहले हमारा साफ संदेश है – फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। धर्मनगरी की गरिमा से कोई समझौता नहीं होगा।”
अखाड़ा परिषद ने भी किया ऑपरेशन कालनेमि का समर्थन
अखाड़ा परिषद के प्रमुख श्री महंत रवींद्र पुरी ने इस अभियान को धार्मिक मान्यताओं की सुरक्षा के लिए एक सही कदम बताया। उन्होंने कहा कि जो लोग साधु-संतों का वेश धारण कर श्रद्धालुओं को गुमराह कर रहे हैं, अब उनके लिए कानून से बचना मुश्किल होगा। यह कार्रवाई सच्चे संतों और धोखेबाजों के बीच अंतर स्पष्ट करने में मदद करेगी।
महंत पुरी ने यह भी सुझाव दिया कि यह मुहिम केवल उत्तराखंड तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि पूरे भारत में फर्जी बाबाओं के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई होनी चाहिए।
महंत रवींद्र पुरी का अनुभव: “धर्म का अपमान करने वाले अब बच नहीं सकेंगे”
महंत रवींद्र पुरी ने साझा किया कि उन्होंने स्वयं कई बार देखा है कि लोग सिर्फ धार्मिक वस्त्र पहनकर भीख मांगते हैं, लोगों से चंदा लेते हैं, और खुद को संत बताकर धार्मिक ठगी करते हैं।
“अब समय आ गया है कि धर्म की रक्षा के लिए हम सख्ती दिखाएं। जो इस आस्था का फायदा उठा रहे हैं, उन्हें कानून की भाषा में जवाब देना जरूरी है।”
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❓ FAQs about Operation Kalanemi (ऑपरेशन कालनेमि)
🔹 Q1: Operation Kalanemi क्या है?
Operation Kalanemi उत्तराखंड सरकार द्वारा शुरू किया गया एक विशेष अभियान है, जिसका उद्देश्य फर्जी बाबाओं और छद्म वेशधारियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करना है। इस मुहिम की शुरुआत गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की थी।
🔹 Q2: Operation Kalanemi के तहत अब तक कितने फर्जी बाबा पकड़े गए हैं?
अब तक 56 फर्जी बाबाओं को गिरफ्तार किया गया है — जिसमें देहरादून में 25 और हरिद्वार में 31 (13 फर्जी बाबा और 18 बहुरूपिए) शामिल हैं।
🔹 Q3: Operation Kalanemi अभियान किन लोगों पर केंद्रित है?
इस अभियान का निशाना वे लोग हैं जो धार्मिक वेश धारण करके, भगवा वस्त्र पहनकर और तंत्र-मंत्र का दिखावा करके लोगों को ठगते हैं, जबकि उनका कोई धार्मिक संगठन या संस्था से संबंध नहीं होता।
🔹 Q4: ❓ क्या Operation Kalanemi केवल उत्तराखंड तक सीमित है?
वर्तमान में Operation Kalanemi उत्तराखंड में सक्रिय है, लेकिन कई धार्मिक संगठनों और संतों की मांग है कि इसे देशव्यापी स्तर पर लागू किया जाए ताकि धर्म की आड़ में हो रही ठगी पर पूर्ण विराम लगाया जा सके।