
🌍 Nisar Satellite Launch : ISRO और NASA का ऐतिहासिक संयुक्त मिशन
श्रीहरिकोटा। भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग की नई मिसाल कायम करते हुए ISRO और NASA ने आज संयुक्त रूप से Nisar Satellite को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। इस ऐतिहासिक मिशन को आंध्र प्रदेश के सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से ISRO के अत्याधुनिक GSLV-F16 रॉकेट के ज़रिए अंतरिक्ष में भेजा गया है।
🚀 क्या है Nisar Satellite?
NISAR का पूरा नाम है Nasa-Isro Synthetic Aperture Radar। यह सैटेलाइट धरती की सतह, जलवायु परिवर्तन, और प्राकृतिक आपदाओं पर निगरानी रखने के लिए खासतौर पर डिज़ाइन किया गया है। यह मिशन दुनिया का पहला ऐसा मिशन है, जिसमें दो अलग-अलग रडार तकनीकें — Nasa का L-बैंड और Isro का S-बैंड — एक ही सैटेलाइट में एक साथ उपयोग की गई हैं।

🔍 क्या करेगा निसार सैटेलाइट?
- पृथ्वी की सतह को हर 12 दिन में दो बार स्कैन करेगा
- प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, भूस्खलन, बाढ़, सुनामी और ज्वालामुखी पर नजर
- कृषि, वनस्पति, और मिट्टी की नमी की स्थिति का मूल्यांकन
- ग्लेशियर, समुद्री बर्फ और तूफानों की गतिविधियों की निगरानी
- जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक प्रभावों का मूल्यांकन
📡 कैसे काम करता है Nisar Satellite?
विशेषता | विवरण |
---|---|
मिशन नाम | NISAR (Nasa-Isro Synthetic Aperture Radar) |
वजन | 2,392 किलोग्राम |
आकार | एक पिकअप ट्रक जितना |
कक्षा | सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा (743 किमी ऊंचाई पर) |
परिक्रमा | रोज़ाना 14 बार पृथ्वी की परिक्रमा |
स्कैन रेट | हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी की सतह को दो बार स्कैन करेगा |
रडार तकनीक | L-बैंड (NASA) + S-बैंड (ISRO) |
सेंसर क्षमता | 1 सेंटीमीटर तक की हलचल को पकड़ने में सक्षम |
डेटा उत्पादन | लगभग 80 टेराबाइट प्रतिदिन |
एंटीना | 12 मीटर व्यास का माइक्रोवेव एंटीना |
डेटा एक्सेस | अधिकतर डेटा 24-48 घंटे में ओपन एक्सेस होगा |
मिशन अवधि | 3 वर्ष (NASA), 5 वर्ष (ISRO) |
🌐 क्यों खास है Nisar Satellite?
Nisar Satellite सिर्फ एक विज्ञान प्रयोग नहीं, बल्कि यह मानवता के लिए एक उपयोगी उपकरण है। इसकी microwave imaging तकनीक इतनी सक्षम है कि यह बादलों, धुंध और बारिश के दौरान भी कार्य करती है। इतना ही नहीं, यह सैटेलाइट ग्लोबली कवरेज देगा, जिससे पूरी पृथ्वी की सतह पर होने वाली हर छोटी-बड़ी हलचल पर नजर रखी जा सकेगी।
🤝 Isro-Nasa की बढ़ती साझेदारी का प्रतीक
इस मिशन के ज़रिए भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष विज्ञान में सहयोग की नई ऊंचाइयों तक पहुंचने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। इससे पहले भी दोनों एजेंसियां कई मिशनों में साथ काम कर चुकी हैं। हाल ही में Axiom Mission 4 के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को Nasa और अन्य देशों की एजेंसियों के साथ ISS पर भेजा गया।
📣 नासा ने क्या कहा?
Nasa ने बयान जारी करते हुए कहा है कि Nisar Satellite से मिलने वाला डेटा पूरी दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन में मदद करेगा। यह मिशन वैज्ञानिकों के लिए एक अनमोल खजाना साबित होगा।
✅ निष्कर्ष
Nisar Satellite न केवल भारत-अमेरिका की वैज्ञानिक साझेदारी का प्रतीक है, बल्कि यह मिशन जलवायु परिवर्तन, कृषि, आपदा प्रबंधन और पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखता है। इसकी मदद से वैज्ञानिक अब पहले से कहीं अधिक सटीकता से धरती की हलचलों को समझ सकेंगे और भविष्य में आपदाओं की तैयारी को बेहतर बना पाएंगे।
✅ FAQ ब्लॉक
❓ Nisar Satellite क्या है?
उत्तर: NISAR (Nasa-Isro Synthetic Aperture Radar) एक उन्नत सैटेलाइट है जिसे ISRO और NASA ने मिलकर विकसित किया है। इसका उद्देश्य पृथ्वी की सतह की बारीकी से निगरानी करना है।
❓ Nisar Satellite किस मिशन के तहत लॉन्च हुआ?
उत्तर: Nisar Satellite को Nasa और Isro के संयुक्त मिशन के तहत लॉन्च किया गया है, जो प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन पर नज़र रखने के लिए बनाया गया है।
❓ निसार सैटेलाइट का प्रमुख कार्य क्या है?
उत्तर: यह सैटेलाइट भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन, समुद्री तूफान, फसल की स्थिति, मिट्टी की नमी और ग्लेशियरों की निगरानी करने में सक्षम है।
❓ Nisar Satellite में कौन-कौन से रडार लगे हैं?
उत्तर: इसमें Nasa का L-बैंड और Isro का S-बैंड रडार लगा है, जो सेंटीमीटर स्तर की हलचल को भी पकड़ सकता है।
❓ इस सैटेलाइट से मिलने वाला डेटा किसके लिए उपयोगी होगा?
उत्तर: यह डेटा वैज्ञानिकों, आपदा प्रबंधन एजेंसियों, कृषि विशेषज्ञों और जलवायु शोधकर्ताओं के लिए बेहद उपयोगी होगा।