Kedarnath dham gate closed

🌄बाबा केदार के कपाट शीतकाल के लिए बंद, आस्था और भक्ति से गूंजा पूरा धाम , सीएम धामी भी रहें मौजूद…

Kedarnath Dham : आस्था, इतिहास और विश्वास की अनमोल धरोहर

केदारनाथ : हिंदू धर्म के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक Kedarnath Dham, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हिमालय की ऊँचाइयों पर स्थित है। भगवान शिव का यह पावन धाम सदियों से करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है।

समुद्र तल से करीब 3,584 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि मानवीय दृढ़ता का भी प्रतीक है। जब भी केदारनाथ मंदिर की घंटियाँ बजती हैं, तो ऐसा लगता है मानो पूरा हिमालय “हर हर महादेव” के स्वर में झूम उठा हो।

यहां की परंपरा, शुद्धता और आध्यात्मिक ऊर्जा इसे Char Dham Yatra का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती है। हर वर्ष अप्रैल-मई में कपाट खुलने के बाद अक्टूबर-नवंबर तक लाखों तीर्थयात्री यहां पहुँचते हैं।

kedarnath dham 23 oct 2025
kedarnath doli

Kedarnath Dham के कपाट भैयादूज पर शीतकाल के लिए बंद

आज (23 अक्टूबर) भैयादूज के पावन अवसर पर केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए विधिवत बंद कर दिए गए।

सुबह 4 बजे से 6 बजे तक गर्भगृह में भगवान केदारनाथ के स्वयंभू शिवलिंग की समाधि पूजा की गई। इस दौरान तीर्थ पुरोहितों, मंदिर समिति के सदस्यों और प्रशासनिक अधिकारियों ने पारंपरिक विधियों के साथ पूजा-अर्चना की।

इसके बाद 6 बजे मंदिर के गर्भगृह के कपाट बंद किए गए, और साढ़े आठ बजे पंचमुखी चल विग्रह डोली को बाहर लाया गया। मुख्य द्वार को बंद करने से पहले डोली ने मंदिर की परिक्रमा की — यह परंपरा शताब्दियों पुरानी है और इसका गहरा धार्मिक अर्थ है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस अवसर पर Kedarnath Dham में उपस्थित रहे। उन्होंने बाबा केदार के दर्शन किए और देश-प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की।

सीएम धामी ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न के अनुरूप आज केदारपुरी भव्य और दिव्य रूप में विकसित हुआ है। श्रद्धालुओं के लिए यह अनुभव जीवन का सबसे पवित्र क्षण है।”

Cm dhami in kedarnath dham gate closing
cm dhami

कपाट बंदी के दौरान Kedarnath Temple में हुआ दिव्य अनुष्ठान

कपाट बंद करने से पहले मंदिर परिसर में अद्भुत दृश्य देखने को मिला। पुजारी बागेश लिंग ने पारंपरिक विधि से समाधि पूजा संपन्न की। भगवान के स्वयंभू लिंग को ब्रह्मकमल, बुकला, कुमजा, राख और अन्य पवित्र पुष्पों से ढका गया।

“जय बाबा केदार” के जयघोष के बीच जब गर्भगृह का द्वार बंद हुआ, तो पूरा वातावरण भक्ति से भर गया। सेना के बैंड की मधुर ध्वनि और तीर्थयात्रियों के आशीर्वाद के साथ बाबा केदार की पंचमुखी डोली अपने शीतकालीन प्रवास के लिए रवाना हुई।

डोली यात्रा का पहला पड़ाव रामपुर, दूसरा गुप्तकाशी, और अंतिम ऊखीमठ में ओंकारेश्वर मंदिर होगा — जहाँ पूरे शीतकाल में पूजा-अर्चना जारी रहेगी।


Kedarnath Dham 2025 यात्रा: रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु पहुंचे

इस वर्ष Char Dham Yatra 2025 की शुरुआत 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ हुई थी। Kedarnath Dham के कपाट 2 मई को और बदरीनाथ के 4 मई को खोले गए थे।

केदारनाथ धाम में इस वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए।
17,68,795 तीर्थयात्रियों ने भगवान केदार के दर्शन किए, जो पिछले वर्ष (16,52,076) की तुलना में लगभग 1.25 लाख अधिक है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि, “इस वर्ष यात्रा पूरी तरह सुगम, सुरक्षित और सफल रही। आपदा नियंत्रण और प्रशासनिक तैयारी बेहतर थी।”


Kedarnath Temple की यात्रा: सुरक्षा और प्रबंधन की नई मिसाल

इस वर्ष केदारनाथ धाम में यात्रा व्यवस्था का संचालन बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) ने उत्कृष्ट तरीके से किया।

बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने कहा, “मुख्यमंत्री के नेतृत्व में चारधाम यात्रा का संचालन सुचारू रूप से हुआ है। प्रशासन, पुलिस और स्थानीय लोगों के सहयोग से यह संभव हुआ।”

तीर्थयात्रियों के लिए नई सुविधाएं जोड़ी गईं —

  • रामबाड़ा में 48 मीटर लंबा फोल्डिंग ब्रिज बनाया गया।
  • Kedarnath yatra मार्ग पर आपात चिकित्सा केंद्र स्थापित किए गए।
  • मलबा सफाई और लैंडस्लाइड प्रबंधन के लिए लगातार निगरानी रही।

यह सभी प्रयास Kedarnath Temple को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ते हुए उसकी पारंपरिक पवित्रता को बनाए रखने की दिशा में एक कदम हैं।


Kedarnath Dham कपाट बंद होने की प्रक्रिया के आध्यात्मिक अर्थ

Kedarnath Dham का कपाट बंद होना सिर्फ एक धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह आस्था का परिवर्तन-काल है।

जब गर्भगृह का द्वार बंद किया जाता है, तो यह प्रतीक है — भक्ति के विश्राम का नहीं, बल्कि अंतर्मन की साधना के प्रारंभ का।

शीतकाल में जब बाबा केदार ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में विराजते हैं, तब भी पूजा-अर्चना उसी विधि से होती है। श्रद्धालु इस दौरान वहीं दर्शन कर सकते हैं।

यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि आस्था का स्थान केवल मंदिर नहीं, बल्कि हृदय भी है।


Kedarnath Dham की डोली यात्रा का भावनात्मक दृश्य

कपाट बंद होने के बाद Kedarnath Temple परिसर में जब पंचमुखी डोली बाहर आई, तो भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा।

  • हजारों श्रद्धालु “जय बाबा केदार” के जयकारे लगाते हुए डोली के साथ चले।
  • स्थानीय महिलाएँ आरती गा रही थीं, जबकि सेना के जवान श्रद्धापूर्वक मार्ग बना रहे थे।
  • भक्तों ने फूलों की वर्षा से बाबा केदार को विदा किया।

इस आध्यात्मिक यात्रा की पहली रात रामपुर में विश्राम होगा, जहाँ डोली का स्वागत भव्य रूप से किया जाएगा।
इसके बाद गुप्तकाशी के विश्वनाथ मंदिर में ठहराव होगा और 25 अक्टूबर को डोली ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में पहुंचेगी।


Kedarnath Dham: आस्था और पर्यटन का संतुलन

पिछले कुछ वर्षों में Kedarnath Dham न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि पर्यटन और विकास के केंद्र के रूप में भी उभरा है।

सरकार का लक्ष्य अब शीतकालीन यात्रा (Winter Tourism) को बढ़ावा देना है ताकि स्थानीय लोगों को वर्षभर आजीविका मिल सके।

इसके अलावा Kedarnath में “Green Kedarpuri” प्रोजेक्ट के तहत पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जा रही है —

  • प्लास्टिक-मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया है।
  • सौर ऊर्जा और जल प्रबंधन परियोजनाएं शुरू की गई हैं।
  • स्थानीय पारिस्थितिकी को बनाए रखने के लिए निर्माण कार्यों पर नियंत्रण किया गया है।

Kedarnath Temple से जुड़ी कुछ रोचक बातें

विषयजानकारी
देवताभगवान शिव (केदारेश्वर)
स्थापना कालमहाभारत युग
ऊँचाई3,584 मीटर
नदी के किनारेमंदाकिनी नदी
कपाट खुलने की तिथि 20252 मई
कपाट बंद होने की तिथि 202523 अक्टूबर
शीतकालीन गद्दीस्थलओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ
यात्रा अवधिमई से अक्टूबर
मुख्य आकर्षणपंचमुखी डोली, समाधि पूजा, ज्योतिर्लिंग दर्शन

Kedarnath Dham यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुझाव

  1. मौसम की जानकारी लें: यात्रा से पहले मौसम विभाग की अपडेट अवश्य देखें।
  2. ऑनलाइन पंजीकरण करें: उत्तराखंड सरकार की आधिकारिक वेबसाइट से यात्रा पंजीकरण कराएं।
  3. शारीरिक तैयारी रखें: Kedarnath Temple तक की यात्रा में कठिन ट्रेकिंग होती है। स्वास्थ्य प्रमाणपत्र साथ रखें।
  4. पर्यावरण का सम्मान करें: प्लास्टिक या कचरा न फैलाएं।
  5. शीतकालीन विकल्प: कपाट बंद होने पर ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में दर्शन करें।

Kedarnath Dham कपाट बंद: आस्था का अंत नहीं, नई शुरुआत

आज जब Kedarnath Dham के कपाट बंद हुए, तो यह सिर्फ एक रस्म नहीं थी — यह उस भावनात्मक रिश्ते का प्रतीक था जो श्रद्धालु और भगवान के बीच जुड़ा है।

हजारों भक्तों की आँखें नम थीं, पर दिलों में संतोष था कि बाबा अब ऊखीमठ में विराजेंगे।

सीएम धामी ने अपने संदेश में कहा,

“बाबा केदार की कृपा से उत्तराखंड की धरती पर सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे — यही हमारी प्रार्थना है।”


FAQs

Kedarnath Dham के कपाट हर साल कब बंद होते हैं?
आम तौर पर दीपावली या भैयादूज के अवसर पर अक्टूबर-नवंबर में कपाट बंद किए जाते हैं।

कपाट बंद होने के बाद पूजा कहां होती है?
शीतकाल के दौरान पूजा ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में होती है।

Kedarnath Temple की यात्रा कब शुरू होती है?
अप्रैल के अंतिम सप्ताह या मई की शुरुआत में कपाट खुलने के बाद यात्रा शुरू होती है।

क्या Kedarnath Dham तक हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध है?
हाँ, फाटा, सीतापुर और गुप्तकाशी से हेलीकॉप्टर सेवा मिलती है।

कपाट बंद होने पर क्या दर्शन संभव हैं?
नहीं, कपाट बंद होने के बाद मंदिर में दर्शन नहीं होते, पर शीतकालीन गद्दीस्थल में बाबा केदार की पूजा की जा सकती है।


निष्कर्ष

Kedarnath Dham की कपाट-बंदी का यह दृश्य सिर्फ एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि एक युगों से चली आ रही परंपरा है — जो आस्था, अनुशासन और प्रेम का संगम है।

हर वर्ष जब कपाट बंद होते हैं, तो यह संकेत होता है कि भले ही रास्ते बर्फ से ढक जाएँ, लेकिन श्रद्धा का दीपक कभी नहीं बुझता।

भक्ति के इस पर्व में, Kedarnath Dham एक बार फिर यह संदेश देता है —

“आस्था ठंड में नहीं जमती, बल्कि दिलों में जलती रहती है।”

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