Kamika Ekadashi 2025

🗓️ Kamika Ekadashi 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे भक्त ‘कामिका एकादशी’ के नाम से जानते हैं, 21 जुलाई 2025, सोमवार को आ रही है। खास बात यह है कि इस बार एकादशी का शुभ अवसर सावन सोमवार से भी संयोग बना रहा है, जो इसे आध्यात्मिक दृष्टि से और अधिक प्रभावशाली बनाता है।

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 20 जुलाई 2025, शाम 7:42 बजे से
  • कामिका एकादशी की तिथि का समापन 21 जुलाई 2025 की शाम करीब 5 बजकर 12 मिनट पर होगा, जिसके बाद पारण की प्रक्रिया आरंभ की जा सकती है।”
  • पारण समय: 22 जुलाई 2025, प्रातः 6:10 बजे से 8:32 बजे तक

🌸 Kamika Ekadashi का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। पूरे वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं और हर एक का अपना महत्व है। Kamika Ekadashi उन एकादशियों में से एक है, जो पापों से मुक्ति, मनोकामना पूर्ति, और भवसागर से पार कराने में सहायक मानी जाती है।

📿 मान्यता है कि जो भक्त इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करता है, उसे अनजाने में हुए पापों से भी मुक्ति मिलती है। यह दिन मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि के लिए अत्यंत फलदायक होता है।


🛕 पूजा विधि और नियम

Kamika Ekadashi के दिन विशेष पूजा और व्रत नियमों का पालन करने से पुण्य कई गुना बढ़ जाता है:

🌅 व्रत और पूजन विधि:

  1. प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को गंगाजल से शुद्ध करें।
  3. धूप-दीप, फूल, तुलसी और पंचामृत से भगवान का पूजन करें।
  4. “भक्तजन भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम या फिर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का श्रद्धा से जाप करते हैं, जिससे आत्मिक शांति और ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती है।”

🚫 तुलसी से जुड़े नियम: क्या करें, क्या न करें

❌ इन बातों का रखें विशेष ध्यान:

  • एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए
  • तुलसी को स्पर्श करने से भी बचें, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन देवी तुलसी स्वयं निर्जला व्रत करती हैं।

✅ तुलसी पूजन का शुभ तरीका:

  • सूर्यास्त के समय तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं
  • 7 परिक्रमा करें और यह मंत्र जपें:
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी,
आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
  • अंत में माँ तुलसी की आरती करें।

📌 देहरादून में Kamika Ekadashi की तैयारी

देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में Kamika Ekadashi को लेकर मंदिरों में विशेष तैयारियां शुरू हो गई हैं। टपकेश्वर महादेव मंदिर, लक्ष्मण सिद्ध मंदिर और मनकामेश्वर मंदिर में विशेष पूजन अनुष्ठान होंगे। भक्तों को सलाह दी जा रही है कि वे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और श्रद्धा से व्रत करें।


📢 FAQs: कामिका एकादशी से जुड़ी जिज्ञासाएं

❓ Kamika Ekadashi क्यों मनाई जाती है?

👉 यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने और पापों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है।

❓ क्या इस दिन व्रत के साथ फलाहार लिया जा सकता है?

👉 हां, फलाहार व्रतधारी ले सकते हैं। कुछ लोग निर्जल व्रत भी रखते हैं।

❓ तुलसी के पत्ते क्यों नहीं तोड़ने चाहिए?

👉 मान्यता है कि तुलसी माता भी इस दिन व्रत करती हैं, इसलिए उन्हें छेड़ना अनुचित माना जाता है।


📝 निष्कर्ष

कामिका एकादशी आध्यात्मिक उन्नति और जीवन की शुद्धता के लिए बेहद महत्वपूर्ण दिन है। यह न सिर्फ धर्म के प्रति आस्था को मजबूत करता है, बल्कि आत्मा की शांति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। अगर आप इस दिन सच्ची श्रद्धा से भगवान विष्णु और तुलसी माता का पूजन करते हैं, तो आपके जीवन से संकट दूर होते हैं और सुख-शांति का वास होता है।

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