
🕊️ झारखंड के दिग्गज नेता Shibu Soren का निधन
रांची – झारखंड की राजनीति के स्तंभ और Shibu Soren के नाम से पहचाने जाने वाले आदिवासी नेता, दिशोम गुरुजी अब हमारे बीच नहीं रहे। सोमवार सुबह 8:56 बजे उन्होंने दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे 81 वर्ष के थे और पिछले कई महीनों से गंभीर रूप से बीमार चल रहे थे।
🩺 लंबे समय से बीमार थे Shibu Soren
Shibu Soren किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे और उन्हें एक महीने पहले ब्रेन स्ट्रोक भी आया था। पिछले एक महीने से ICU में लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था। बेटे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ‘एक्स’ पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा –
“आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं… आज मैं शून्य हो गया हूं।”
🧬 1944 में जन्म, बचपन से आदिवासी संघर्ष के सिपाही
Shibu Soren का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ। बचपन से ही आदिवासी समाज के शोषण और अन्याय को उन्होंने बहुत करीब से देखा। 1960 के दशक में उन्होंने जल, जंगल और जमीन के अधिकार की लड़ाई शुरू की।

🏛️ झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना और अलग राज्य की मांग
1970 के दशक में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की नींव रखी। उनका उद्देश्य था – आदिवासियों के अधिकारों के लिए एक स्वतंत्र राज्य की मांग।
1980 में पहली बार वे लोकसभा पहुंचे और लगातार आदिवासी हितों की आवाज संसद में उठाते रहे।
👉 15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य बना, जिसमें Shibu Soren का योगदान ऐतिहासिक माना जाता है।
🧑⚖️ मुख्यमंत्री बने तीन बार, पर राजनीतिक अस्थिरता ने रोका रास्ता
Shibu Soren तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने –
- पहली बार 2005 में
- दूसरी बार 2008 में
- और तीसरी बार 2009 में
हालांकि गठबंधन की राजनीति और अस्थिर समीकरणों की वजह से उनका कार्यकाल ज्यादा लंबा नहीं रहा।
🔍 विवादों में भी रहे Shibu Soren
उनकी राजनीतिक यात्रा में कई उतार-चढ़ाव भी आए। उन पर भ्रष्टाचार, हत्या जैसे गंभीर आरोप लगे। हालांकि, बाद में कोर्ट ने कई मामलों में उन्हें बरी किया।
🌿 आदिवासी कल्याण के लिए समर्पित जीवन
Shibu Soren ने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा आदिवासी कल्याण, रोजगार सृजन, और ग्रामीण विकास के लिए समर्पित किया। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर भी फोकस किया।
📜 Shibu Soren के योगदान को भूल पाना नामुमकिन
- झारखंड राज्य निर्माण में मुख्य भूमिका
- आदिवासी अधिकारों की संसद में लगातार आवाज
- तीन बार मुख्यमंत्री का कार्यभार
- झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक संरक्षक
📌 FAQs about Shibu Soren
Q1: शिबू सोरेन का जन्म कब हुआ था?
A: उनका जन्म 11 जनवरी 1944 को नेमरा गांव, रामगढ़ में हुआ था।
Q2: शिबू सोरेन की राजनीतिक यात्रा कब शुरू हुई?
A: उन्होंने 1960 के दशक में आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष शुरू किया और 1980 में लोकसभा पहुंचे।
Q3: शिबू सोरेन की मृत्यु कब और कहां हुई?
A: उन्होंने 5 अगस्त 2025 को सुबह 8:56 बजे सर गंगा राम अस्पताल में अंतिम सांस ली।
Q4: शिबू सोरेन कितनी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने?
A: वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने – 2005, 2008, 2009 में।
Q5: शिबू सोरेन को दिशोम गुरु क्यों कहा जाता है?
A: क्योंकि उन्होंने आदिवासी समाज के उत्थान के लिए आजीवन संघर्ष किया और उन्हें एक आदर्श नेतृत्व दिया।
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