Hariyali Amavasya

🪔 Hariyali Amavasya क्या है?

Hariyali Amavasya, सावन महीने की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है, जब धरती हरे रंग की चादर ओढ़े प्राकृतिक सुंदरता से भर जाती है। यह दिन न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा होता है, बल्कि पर्यावरण प्रेम और वृक्षारोपण का संदेश भी देता है। इस शुभ अवसर पर लोग भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं और हरियाली बनाए रखने का संकल्प लेते हैं।


📅 Hariyali Amavasya 2025 में कब है?

वर्ष 2025 में हरियाली अमावस्या का पर्व 24 जुलाई, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। यह तिथि सावन महीने की अमावस्या को पड़ती है, जब प्रकृति पूरी तरह हरियाली से सराबोर होती है। यह अवसर न केवल धार्मिक रूप से खास होता है, बल्कि यह दिन पर्यावरण संरक्षण, आंतरिक शुद्धि और सामाजिक एकता का भी संदेश लेकर आता है।


🌱 हरियाली अमावस्या का महत्व

✅ 1. प्रकृति से जुड़ाव का पर्व

इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को संरक्षित करना है। वृक्षारोपण और हरियाली बढ़ाने के लिए यह दिन प्रेरणा देता है।

✅ 2. भगवान शिव की कृपा

श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित होता है, और इस दिन शिव पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।

✅ 3. पूर्वजों का स्मरण

इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान और तर्पण किया जाता है।

Hariyali Amavasya

🕉️ हरियाली अमावस्या पूजा विधि

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध, पुष्प और भस्म चढ़ाएं।
  3. व्रत रखने वाले दिनभर निराहार रहें और शाम को पूजा करें।
  4. पीपल, तुलसी और अन्य वृक्षों में जल अर्पित करें।
  5. गाय को हरा चारा, गरीबों को वस्त्र और अन्न का दान करें।

🏞️ हरियाली अमावस्या और वृक्षारोपण

हरियाली अमावस्या का असली संदेश होता है—“धरती को हरा-भरा बनाए रखें।” इस दिन कई स्कूल, कॉलेज, सामाजिक संस्थाएं और मंदिरों में वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

🌳 रोपण के लिए शुभ पेड़:

  • पीपल
  • नीम
  • आम
  • तुलसी
  • आंवला

🙏 धार्मिक स्थलों पर उत्सव

उत्तर भारत के कई हिस्सों में यह पर्व मेलों और भजन-कीर्तन के रूप में मनाया जाता है। खासकर उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड में इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

राजस्थान के उदयपुर में “गुलाब बाग मेला” हरियाली अमावस्या पर प्रसिद्ध है, जिसमें हज़ारों लोग शामिल होते हैं।


📖 Hariyali Amavasya से जुड़ी कहानियां

एक लोककथा के अनुसार, इस दिन पृथ्वी माता ने भगवान विष्णु से विनती की थी कि वर्षा ऋतु में जब धरती हरी हो जाए तो उसका उत्सव मनाया जाए। तभी से हरियाली अमावस्या का प्रचलन शुरू हुआ।


🙌 Hariyali Amavasya के दिन इन कामों को करने से बचे..

  • कोई भी पेड़-पौधे न काटें।
  • तामसिक भोजन जैसे मांस-मदिरा से दूर रहें।
  • बड़ों और बुजुर्गों का अनादर न करें।
  • पीपल या तुलसी का अनादर न करें।

📌 निष्कर्ष

Hariyali Amavasya केवल एक धार्मिक तिथि नहीं है, बल्कि यह दिन हमें यह सिखाता है कि जीवन में प्रकृति, सामाजिक जिम्मेदारी और आत्मिक शांति के बीच कैसे संतुलन बना सकते हैं। इस खास मौके पर हम न सिर्फ भगवान शिव की आराधना करते हैं, बल्कि वृक्ष लगाकर भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक हरा और सुरक्षित वातावरण भी सुनिश्चित करने का संकल्प लेते हैं।

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📚 FAQ – Hariyali Amavasya 2025

❓ हर साल हरियाली अमावस्या कब आती है? कौन सा महीना होता है विशेष?

यह सावन मास की अमावस्या तिथि को आती है।

❓ 2025 में हरियाली अमावस्या कब है?

2025 में हरियाली अमावस्या 24 जुलाई को है।

❓ इस दिन कौन-कौन सी पूजा की जाती है?

भगवान शिव, पीपल वृक्ष और तुलसी की विशेष पूजा की जाती है।

❓ क्या इस दिन व्रत रखा जाता है?

हाँ, कई भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और शिव पूजन करते हैं।

❓ हरियाली अमावस्या का सामाजिक महत्व क्या है?

यह दिन पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण और पितृ तर्पण के लिए समर्पित है।

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