Char Dham Yatra

🔥 Chardham Yatra 2025: विदेशी श्रद्धालुओं की जबरदस्त भागीदारी, आंकड़े कर देंगे हैरान

देवभूमि उत्तराखंड में चल रही Chardham Yatra इस बार रिकॉर्ड तोड़ रही है। 30 अप्रैल से शुरू हुई यात्रा में अब तक 28 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पंजीकरण कर चुके हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 150 से अधिक देशों से श्रद्धालु यात्रा में हिस्सा ले रहे हैं — यह भारत के धार्मिक पर्यटन के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।


🌐 Chardham Yatra में शामिल हो रहे हैं दुनिया के हर कोने से श्रद्धालु

देशपंजीकरण संख्या
USA5864
नेपाल5728
ऑस्ट्रेलिया1259
UK1559
कनाडा888
मलेशिया, मॉरीशस, इंडोनेशिया जैसे कई अन्य देशों से भी हजारों पंजीकरण

उत्तराखंड पर्यटन विभाग के अनुसार, अब तक 31581 विदेशी यात्रियों ने यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। यह दर्शाता है कि Chardham Yatra अब सिर्फ एक भारतीय नहीं, बल्कि वैश्विक धार्मिक आकर्षण बन चुकी है।


Chardham Yatra के प्रमुख धामों में जबरदस्त उत्साह

धामविदेशी पंजीकरण
केदारनाथ11,576
बदरीनाथ9320
गंगोत्री5542
यमुनोत्री4869
हेमकुंड साहिब274

केदारनाथ और बदरीनाथ सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। तीर्थयात्रियों की भीड़ इन स्थलों पर आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति से भरपूर माहौल बना रही है।


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⚠️ Chardham Yatra में ऑनलाइन पंजीकरण की चुनौती, ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन में बूम

भले ही यात्रा का माहौल उत्साहजनक है, लेकिन ऑनलाइन स्लॉट्स की उपलब्धता ना होने के कारण कई श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इससे हरिद्वार, ऋषिकेश, हरबर्टपुर और विकासनगर जैसे केंद्रों पर ऑफलाइन पंजीकरण में भारी वृद्धि देखी जा रही है — एक दिन में 18,000 से अधिक रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं।


Chardham Yatra: आध्यात्मिक शक्ति और सांस्कृतिक गौरव का संगम

Chardham Yatra केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और संस्कृति का जीवंत संगम है। लाखों श्रद्धालुओं का जुड़ना यह दर्शाता है कि भारत की धार्मिक विरासत कितनी समृद्ध और आकर्षक है।


निष्कर्ष: चारधाम यात्रा बन रही है ग्लोबल स्पिरिचुअल डेस्टिनेशन

विश्वभर से तीर्थयात्रियों की भागीदारी यह स्पष्ट करती है कि Chardham Yatra अब एक ग्लोबल इवेंट बन चुकी है। लेकिन इस उत्साह के साथ, यात्रा प्रबंधन, पंजीकरण प्रणाली और इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करने की ज़रूरत भी बढ़ती जा रही है।


“धार्मिक पर्यटन में यह युगांतकारी वृद्धि भारत को विश्व के आध्यात्मिक मानचित्र पर और ऊंचाई तक ले जा रही है।”


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